पूरे देश में जो लोग पशुपालन करते हैं, वो आज सिर्फ मुर्रा नस्ल की भैंस ही खरीदना चाहते हैं। इसकी एक ठोस वजह भी है यह भैंस कम समय में पशुपालकों की जितनी वृद्धि करता है उतना कोई दूसरा पशु को सालों लग जाते है ।
आज जिनके पास मुर्रा भैंस जितना पैसा नहीं है वो भी चाहते हैं कि वो एक मुर्रा भैंस खरीद पाएं। ताकि अच्छी गुणवत्ता वाले पशु खरीदकर ढेर सारे पैसे कमाए ।
आखिर सबसे ज्यादा दूध वाली भैंस कौन
लोग कई भैंस पालते हैं पर इस भैंस को पालने के बाद इसके अलावा उन्हे कोई भी पशु भात नहीं और सबसे खास बात ये है कि जिनके पास ये भैंस होती है, उन्हें वित्तीय दृष्टि से कोई दिक्कत नहीं होती है। इसके साथ दूध , दही , घी खाने के साथ लोग बेच कर भी खूब पैसा कमाते हैं ।
मुर्रा भैंस सबसे अधिक उत्पादन वाली भैंस की नस्ल है। इस प्रजाति की भैंस देशी और अन्य प्रजाति की भैंसों से दोगुना दूध देती है। यह हर रोज 20 से 35 लीटर दूध आसानी से दे देती हैं, इनमें भी कई भैंस तो 30-40 लीटर तक भी दूध दे देती है।
इसके बेहतरीन गुणों के साथ एक खूबी यह भी है कि इसके दूध में फैट की मात्रा सात प्रतिशत से ज्यादा होती है, इस पशु को पालन भी आसान होता है । इस वजह से पशुपालन से जुड़े लोग इसे खरीदना चाहते हैं।
क्या है खूबी, कैसी होती है मुर्रा नस्ल की भैंस
इस भैंस में कई खूबियाँ मौजूद होती है जिसके साथ यह दिखने में भी आकर्षक लगती है
इसकी शारीरिक बनावट :-
- इसनस्ल के पशु का रंग गहरा काला होता है
- इसकेखुर और पूंछ के निचले हिस्सों पर सफेद दाग पाया जाता है।
- इसभैंस के सींग छोटी व मुड़ी हुई जलेबी आकार की होती है।
- यहअन्य भैंसों के मुकाबले पावरफुल दिखाई पड़ती है
- इनकासिर छोटा व सींग भी छल्ले के आकार के होते हैं।
- मुर्रानस्ल की भैंस के सिर,पूंछ और पैर पर सुनहरे रंग के बाल पाए जाते हैं।
- इनकीपूंछ लंबी तथा पिछला भाग सुविकसित होता है।
- इसकाअयन भी सुविकसित होता है।
- मुर्रानस्ल की भैंस हरियाणा के रोहतक,हिसार व जिंद व पंजाब के नाभा व पटियाला जिले में पाई जाती है। हालांकि अब देश के कई राज्यों में मुर्रा नस्ल की भैंसों का पालन होने लगा है।
- इसभैंस के सीमन का भी काफी व्यापार होने लगा है ।
- इनमेंकई भैंस काफी लंबी और ऊंची होती है और इनके मालिक इन्हें कई प्रतियोगिताओं में भेजते हैं।
- हरियाणामें इसे ‘काला सोना’भी कहते हैं।
दूध देने वाली भैंस को कैसे पहचाने
हमेशा दूध उत्पादक किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि वे कैसे पहचाने की जो भैंस वे खरीद रहे हैं वे दूध देती भी है या नहीं। इस समस्या को दूर करने के लिए हम आपको इसकी पहचान बता रहे है ताकि आपकों भैंस के चुनाव में परेशानी न हो।
दूध देने वाली भैंस की पहचान यह है कि उसका शरीर हमेशा तिकोना होता है। यानि भैंस का शरीर पीछे से भारी और आगे से सकरा होगा। पैर मजबूत होंगे और अच्छी तरह जमीन पर टिकाऊ होंगे। आप भैंस ऑनलाइन ऐप मेरापशु 360 की मदद से भी घर बैठे दुधारू भैंस मँगवा सकते हैं । जिसमे आपको काफी लाभ मिलता है ।
मुर्रा नस्ल की भैंस की अनुमानित कीमत कितनी
मुर्रा नस्ल की भैंस की कीमत इन तीन आधारों पर निर्भर करती है। इनमें अब तक भैंस ने कितने बार बच्चों को जन्म दिया है,पहले बियान वाली भैंसों की कीमत ज्यादा होती है। इसके अलावा भैंस प्रतिदिन कितने लीटर दूध देती है। इनके दूध में फेट का परसेंटेज कितना है।
इसके अलावा भैंसों के स्वास्थ्य पर भी इसका दाम निर्भर करता है। आमतौर पर मुर्रा नस्ल की कीमत 90 हजार से शुरू होकर 5 लाख रुपए तक हो सकती है। वहीं मेरापशु 360 एप पर दुधारू मुर्रा नस्ल की भैंस 65000 से शुरुवाती कीमत पर फ्री डेलीवेरी के साथ मिल रही है ।
दुधारू भैंस की उम्र का पता कैसे लगाएँ
भैंस की उम्र कोई भी डेयरी फार्म की सफलता का प्रथम सोपान भैंस की सही खरीदारी पर निर्भर करता है। भैंसों की खरीदारी की सही उम्र उसके प्रथम या द्वितीय बियान में करनी चाहिए ताकि उसे अधिक समय के लिए अपने खटाल में रखकर ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाया जा सके। भैंसों का सही उम्र उसके दांत को देखकर ही बता जा सकता है।
शरीर की बनावट स्वास्थ्य टीकाकरण की स्थिति दूध देने की क्षमता जानने के लिए गायों एवं भैंसों के निम्न बातों की ओर ध्यान देना जरूरी है।
खरीदते वक्त भैंस को सामने ऊपर एवं बगल से देखें सभी ओर भैंस थोड़ी सी कोनी दिखनी चाहिए यानी भैंस का अगला हिस्सा पतला एवं पिछला हिस्सा चौड़ा होना चाहिए। भैंस की चमड़ी पतली होनी चाहिए प्रजनन अंग के नीचे की जगह ज्यादा चौड़ी उभरी हुई तथा चमकीली होनी चाहिए। थन के आगे की ओर शिरा ज्यादा उभरी हुई मोटी एवं टेढ़ी-मेढ़ी होनी चाहिए।
यह जितनी उभरी एवं टेढ़ी-मेढ़ी होगी उतनी ही भैंस दुधारू होगी। भैंस के दूध दुहने के उपरांत थन पूरी तरह सिकुड़ जाना चाहिए। भैंस की छीमी की दूरी और आकार बराबर होनी चाहिए एवं धार दुहने के दौरान मोटी एवं एक समान होनी चाहिए। शरीर के अनुपात में भैंस के पैर सिर एवं शरीर के बाल छोटे होने चाहिए।
भैंस की आंखों में चमक जल्दी-जल्दी खाने की क्षमता एवं बैठने पर पागुर करते रहना स्वस्थ होने निशानी होती है। भैंस के शरीर पर कोई घाव ना हो अतः खरीद करने के समय भैंस को धूलवा कर अवश्य देखें। साथ ही भैंस को कम से कम 3 बार लगातार दूध दूध कर ही दूध की क्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
भैंस के साथ बच्चा बाछी हो तो उसका भी अलग फायदा है परंतु बच्चा उसी भैंस का है उसका पता अवश्य लगा ले भैंस को लेकर आगे चलें यदि बच्चा भी साथ चलने लगे या बच्चे को लेकर आगे चले तो भैंस साथ चलने लगे तो बच्चा उसी भैंस की पहचान हो जाती है।
सामान्य तौर पर भैंस जान-पहचान वालों से ही ले या भैंस ऑनलाइन ऐप मेरापशु 360 की मदद ले सकते हैं । ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भैंस खरीदें चुकी व्यापारी हमेशा ठगने का प्रयास करते हैं।
व्यापारी से यदि भैंस लेना ही पड़े तो तुरंत सौदा पक्का ना करें पहले भैंस को दुहने में समय लें ताकि ऑक्सीटॉसिन देकर दुहने का प्रयास यदि व्यापारी करे तो उसका प्रभाव खत्म हो जाए और लगातार तीन बार सुबह शाम जुड़ने के उपरांत ही पैसा दें ताकि दूध देने की क्षमता का पूरी तरह अंदाज लग जाए।
इसके अतिरिक्त भैंस के टीकाकरण कार्ड को अवश्य देखें जिसमें टीकाकरण सही समय पर हुई है या नहीं इसकी जानकारी हो जाए साथ ही बीमा एवं लोन संबंधी जानकारी पशुपालक/व्यापारी से अवश्य ले लें।